DHADKANE MERI SUN
तेरी धड़कन तेरी सासें मुझे कितना सताती हैं तेरी खुशबू तेरी बातेँ तेरे ही पास बुलाती हैं ....तेरी धड़कन तेरी सासें...l
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शक था मुझे उसके अंदाज-ए-मोहब्बत पे और यक़ीन भी नहीं था उसके वादा-ए-मोहब्बत पे फ़िर भी उसकी मासूमियत से इश्क़ करता था मैं झूठी थी वो और दग़ाबाज़ भी फिर भी उसकी अदाओं पे मरता था मैं अगर चाहता तो बर्बाद कर देता मगर उसकी...
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यह कोमल और चंचल मन मेरा, उससे दूर नहीं जाना चाहता, नजरों में बसा कर रखना चाहता है... बाहों के दरमियाँ ना सही... वो करीब से गुजर जाये... बस.... ऐसी अजनबी मुलाकातों में ही सही...l ना दर्द हो ...ना ग़म हो ना बोझ हो इस दिल पर कोई राहे मोहब्बत में...
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क्या खूब समा था इश्क़ के महीने में - इश्क़ जवां था मौसम के थे नजारे आंखों के थे इशारे बातों में कशिश थी इतनी लहजे में तपिश थी इतनी जिस्म था - आग थी हर छुअन में एक धुआं था हसीना थी कमसिन दीवाना जवां था इश्क़ के...
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जवानी जब से बहकी थी उसी का नाम लेती थी मोहब्बत प्यास है उसकी यही पैगाम देती थी मैं मजनूं था मैं रांझा था वो लैला हीर जैसी थी मेरी चाहत के ज़ज्बो को मेरा ईमान कहती थी मगर अब.... जो समझती थी इशारों को इशारों ही इशारों में ...
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ये उन दिनों की बात है जब इश्क़ में पड़ना अच्छा हुआ करता था ... इश्क़ भी सच्चा हुआ करता था ...l उन दिनों breakup नहीं हुआ करते थे...हाथ और साथ छूट जाने के बाद उम्र भर चाहने के ...यानि अंतिम साँस तक चाहते निभाने के ...और कहीं कहीं तो आखिरी दम तक इंतजार...
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ये छेड़छाड़...ये आवारगी...और ये दास्तान-ए-मोहब्बत....... उस रोज़-उस रात की तन्हाई की है दोस्तों...... जब हम भी मूड में थे और वो भी... A story of carefree love, mischievous glances, and the timeless rhythm of hearts… It’s about that night—when silence spoke louder than words, And both of us were caught in the sweet trap of the moment. Because, sometimes, love isn’t planned—it just happens… with a...
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तू वो ग़ज़ल है मेरी जिसमें तेरा होना तय है तू वो नज्म है मेरी जिसमें आज भी तेरी मौजूदगी तय है इसलिये नहीं... कि... तू मेरी दस्तरस में है बल्कि इसलिये...कि... तू आज भी मेरी नस - नस में है इसलिए हो चाहे ये कितना ही लंबा सफ़र ना...
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कैसे भुला पाउंगा उस कठिन वक़्त को...कैसे भुला पाउंगा तुम्हारे उस असहनीय कष्ट को...जब तुम्हारा हाथ मेरे हाथ में था...और तुम अंतिम साँस लेने की तैयारी कर रही थीं...मगर फ़िर भी मुझसे कुछ कहना चाह रहीं थीं...क्योंकि तुम काल के हाथों विवश होकर...
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दिल टूट जाने के बाद ...ये दिल दिल ना रहा इस दिल में कुछ भी ना रहा... अगर कुछ रहा तो बस... तेरा ही नाम...तेरा ही दर्द ... छुपा रहा...... Heartbreak leaves us in pieces, but somewhere amidst the pain and sorrow, love still lingers. In this heartfelt episode of #DhadkaneMeriSun, we dive deep into the emotions that follow a broken #relationship. How do we pick up the fragments of our heart when all that remains is the name of the...
info_outlineउसने अपने खत में लिखा.... ये कैसा प्यार है तेरा... बिस्तर में सलवटें ही नहीं पड़ती, सलवटें पड़े भी तो कैसे... क्योंकि...तू वहाँ ... मैं यहाँ.... ये कैसा खुदा है मेरा .... धरती प्यास से तड़प रही है मेघ हैं कि बरसने का नाम ही नहीं लेते मेघ बरसे भी तो कैसे.... क्यों कि ... तू वहाँ... मैं यहाँ .... वो अक्सर अपने खत में लिखा करती थी........... रातां बिन यारा तेरे नहीं कटती
In this episode of Dhadkane Meri Sun, we delve into the poignant letters of a lover separated by distance. She writes with a heart full of longing:
"What kind of love is this? The bed never creases, and how could it? Because you’re there... and I’m here.
What kind of fate is this of mine? The earth thirsts in agony while the clouds refuse to rain. And even if they do, how could they? Because you’re there... and I’m here.
She often wrote in her letters...
The nights don’t pass without you, my love."
Join us as we explore the depths of her emotions and the pain of separation, wrapped in poetic expression and heartfelt words. Don't miss this touching episode of Dhadkane Meri Sun.