Podcasts by SANGYAN for Public Health FAQs and Education
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Antimicrobial Resistance (Set 7 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 7 in Hindi): Understanding AMR
कैसे दुनिया मिलकर एएमआर से लड़ रही है Sangyan Podcast के इस एपिसोड में आपका स्वागत है! आज हम चर्चा करेंगे कि दुनिया भर में एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से निपटने के लिए कैसे मिलकर काम किया जा रहा है और विशेष रूप से भारत में इस बढ़ते मुद्दे से लड़ने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। सबसे पहले, आइए जानते हैं वैश्विक सहयोग के बारे में। एएमआर एक वैश्विक समस्या है, और देशों ने मिलकर एंटीबायोटिक्स के अनावश्यक उपयोग को कम करने के लिए कदम उठाए हैं। इस वैश्विक लड़ाई का एक महत्वपूर्ण पहलू है "विश्व एएमआर जागरूकता सप्ताह", जो हर साल 18 से 24 नवंबर को मनाया जाता है। इस सप्ताह का उद्देश्य एंटीबायोटिक उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और अच्छे प्रथाओं को बढ़ावा देना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और राष्ट्रीय सरकारें मिलकर जन जागरूकता फैलाने, कड़े नियम लागू करने और देशों को एएमआर से निपटने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना बनाने के लिए काम कर रही हैं। अब बात करते हैं भारत की। भारत एएमआर से लड़ने और जागरूकता फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। 2017 में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एएमआर के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (NAP) शुरू की थी। इस योजना का उद्देश्य जनता को एंटीबायोटिक के गलत उपयोग के खतरों के बारे में जागरूक करना और जिम्मेदार प्रथाओं को बढ़ावा देना है, जैसे कि स्व-चिकित्सा से बचना और डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक्स का पूरा कोर्स पूरा करना। NAP के कुछ प्रमुख उद्देश्य हैं: जिम्मेदार एंटीबायोटिक उपयोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना। एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर निगरानी बढ़ाना। संक्रमण नियंत्रण और रोकथाम को मजबूत करना। नई उपचार विधियों के लिए अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देना। सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थाओं, स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और जनता के बीच सहयोग को बढ़ावा देना। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ भी हैं। भारत में सीमित धन और अन्य स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के कारण, NAP का लागू होना धीमा रहा है।। इस स्थिति में सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता है, साथ ही एक समर्पित वित्तीय तंत्र भी आवश्यक है। नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और मीडिया को भी एएमआर प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी होगी। जब NAP पूरी तरह से लागू हो जाएगा, तो सफलता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी, मूल्यांकन और जवाबदेही पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता होगी। मजबूत राजनीतिक समर्थन और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी से यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि एंटीबायोटिक्स भविष्य में भी प्रभावी बने रहें। आज के एपिसोड के लिए बस इतना ही! एएमआर से लड़ाई एक वैश्विक प्रयास है, और हम सब मिलकर फर्क ला सकते हैं।
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Antimicrobial Resistance (Set 6 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 6 in Hindi): Understanding AMR
हम क्या कर सकते हैं – कुछ आसान कदम Sangyan Podcast के एक और एपिसोड में आपका स्वागत है! आज हम कुछ आसान कदमों पर चर्चा करेंगे, जिनका पालन करके हम सभी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से लड़ने में मदद कर सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि एंटीबायोटिक्स भविष्य पीढ़ियों के लिए प्रभावी बने रहें। पहला कदम है, दवाएं तभी लें जब जरूरी हो। एएमआर से लड़ने का सबसे आसान तरीका है एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल केवल तभी करना जब वे सचमुच जरूरी हों। याद रखें, एंटीबायोटिक्स वायरस से होने वाली बीमारियों, जैसे सर्दी या फ्लू के लिए असरदार नहीं होते। इन बीमारियों में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल न केवल मदद नहीं करता, बल्कि यह बैक्टीरिया को प्रतिरोधी बना सकता है, जिससे भविष्य में उपचार कठिन हो सकता है। अगला कदम है, पूरी दवा का कोर्स पूरा करना। यदि डॉक्टर ने एंटीबायोटिक्स लिखी हैं, तो दवा का पूरा कोर्स खत्म करना जरूरी है, भले ही आपको इलाज के दौरान अच्छा महसूस होने लगे। अगर आप दवा बीच में ही छोड़ देते हैं, तो कुछ बैक्टीरिया जीवित रह जाते हैं, जो फिर से मजबूत हो सकते हैं और दवाओं का असर कम कर सकते हैं। इसका मतलब है कि अगली बार संक्रमण का इलाज करना और भी कठिन हो सकता है। और एक महत्वपूर्ण कदम जिसे हम सभी उठा सकते हैं: एएमआर के बारे में जागरूकता फैलाना। जितना ज्यादा लोग एंटीबायोटिक्स के गलत इस्तेमाल के खतरे को समझेंगे, उतना ही बेहतर होगा। अपने दोस्तों, परिवार और समुदाय के साथ एएमआर के बारे में बात करें और एंटीबायोटिक्स का जिम्मेदारी से इस्तेमाल करने के महत्व को समझाएं। जब हर कोई इस मुद्दे के बारे में जागरूक होगा, तो वे एंटीबायोटिक्स का गलत इस्तेमाल करने से बचेंगे, जिससे इन आवश्यक दवाओं की प्रभावशीलता बनी रहेगी। आज के एपिसोड के लिए बस इतना ही! इन आसान कदमों का पालन करके हम सभी एएमआर के खिलाफ लड़ाई में योगदान दे सकते हैं और अपनी सेहत की सुरक्षा कर सकते हैं। अगले एपिसोड में हम और जानेंगे कि हम सब कैसे फर्क ला सकते हैं!
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Antimicrobial Resistance (Set 5 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 5 in Hindi): Understanding AMR
अस्पताल और घरों में एएमआर से बचने के आसान तरीके Sangyan Podcast में एक बार फिर से आपका स्वागत है! आज के एपिसोड में हम कुछ आसान और कारगर तरीकों पर बात करेंगे, जिनसे हम एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) से बच सकते हैं, चाहे हम घर पर हों या अस्पताल में। सबसे पहले बात करते हैं बुनियादी साफ-सफाई की। साबुन और पानी से नियमित हाथ धोना संक्रमण और एएमआर के फैलाव को कम करने का सबसे प्रभावी तरीका है। जब हम अपने हाथ ठीक से धोते हैं, तो हम स्पर्श से फैलने वाले कीटाणुओं और प्रतिरोधी बैक्टीरिया को हटा देते हैं। इसके अलावा, घाव को साफ और ढककर रखना भी बहुत जरूरी है। इससे संक्रमण की संभावना कम होती है और एंटीबायोटिक्स की जरूरत भी कम पड़ती है। अब बात करते हैं दवाओं के सही इस्तेमाल की। एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल केवल तभी होना चाहिए जब डॉक्टर इसकी सलाह दें। एंटीबायोटिक्स का गलत या ज्यादा इस्तेमाल एएमआर को बढ़ावा देता है। मरीजों के लिए यह जरूरी है कि वे दवा का पूरा कोर्स खत्म करें, भले ही उन्हें पहले से ठीक महसूस हो रहा हो। दवा बीच में छोड़ने से कुछ बैक्टीरिया जीवित रह जाते हैं, जो धीरे-धीरे एंटीबायोटिक्स के प्रति प्रतिरोधी बन सकते हैं और भविष्य में संक्रमण का इलाज मुश्किल कर सकते हैं। इसके बाद, खुद से दवा लेने और दूसरों से बांटने से बचें। कभी भी अपने आप एंटीबायोटिक्स न लें और न ही किसी और के साथ अपनी दवाएं साझा करें। हर संक्रमण अलग होता है, और सही इलाज का निर्णय केवल एक डॉक्टर ही कर सकता है। बची हुई दवाओं को खुद से लेना या दूसरों को देना एएमआर को बढ़ा सकता है, जिससे भविष्य के संक्रमण का इलाज और कठिन हो सकता है। अंत में, वैक्सीनेशन का भी अहम रोल है। टीकाकरण उन संक्रमणों को रोकने में मदद करता है, जिनके इलाज के लिए एंटीबायोटिक्स की जरूरत पड़ सकती है। फ्लू और निमोनिया जैसी बीमारियों के लिए टीका लगवाने से एंटीबायोटिक्स की जरूरत कम हो जाती है और प्रतिरोधी बैक्टीरिया का खतरा भी कम होता है। वैक्सीनेशन से एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल घटता है, जिससे एएमआर पर काबू पाया जा सकता है। आज के एपिसोड में बस इतना ही, ये थे कुछ आसान तरीके जिनसे हम एएमआर से बच सकते हैं। अगले एपिसोड में हम इस महत्वपूर्ण विषय पर और जानकारी देंगे और जानेंगे कि हम अपनी सेहत को और कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। जुड़े रहिए और सुनते रहिए Sangyan Podcast!
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Antimicrobial Resistance (Set 4 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 4 in Hindi): Understanding AMR
खाने में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल और इसका हमारे स्वास्थ्य पर असर आप सभी का स्वागत है Sangyan Podcast में! आज के एपिसोड में हम एक महत्वपूर्ण मुद्दे पर बात करेंगे—खाद्य उत्पादन में एंटीबायोटिक्स की भूमिका और इसका हमारे स्वास्थ्य पर असर। सबसे पहले, आइए जानें कि खाद्य उत्पादन में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल क्यों किया जाता है। खेती और पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का उपयोग अक्सर जानवरों की बीमारियों को रोकने और उनकी तेजी से वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है, चाहे जानवर बीमार हों या न हों। यह खासकर तब होता है जब औद्योगिक फार्मिंग में बड़ी संख्या में जानवरों को छोटे स्थानों में पाला जाता है। इसका उद्देश्य है स्वस्थ जानवर और ज्यादा उत्पादन, लेकिन इस तरीके से एंटीबायोटिक्स का अत्यधिक इस्तेमाल होता है, जो एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) को बढ़ावा देता है। अब सवाल उठता है कि इसका हम पर क्या असर पड़ता है? जब जानवरों को एंटीबायोटिक्स दिए जाते हैं, तो उनके शरीर में मौजूद बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो सकते हैं। ये प्रतिरोधी बैक्टीरिया संक्रमित मांस, दूध या जानवरों के संपर्क में आने से हमारे शरीर में प्रवेश कर सकते हैं। एक बार जब ये बैक्टीरिया हमारे शरीर में आ जाते हैं, तो ये ऐसी बीमारियां पैदा कर सकते हैं, जिनका इलाज करना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि सामान्य एंटीबायोटिक्स अब असर नहीं करतीं। यह स्थिति स्वास्थ्य संगठनों, जैसे कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), द्वारा उठाई गई एक गंभीर चिंता है। तो, हम उपभोक्ता के रूप में खुद को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं? एक महत्वपूर्ण सलाह यह है कि हम "एंटीबायोटिक-फ्री" लेबल वाले मांस और अन्य पशु उत्पादों का चुनाव करें। इसके अलावा, ऐसी जगह से खरीदारी करें जहां एंटीबायोटिक्स का जिम्मेदार उपयोग होता हो। साफ-सुथरे और अच्छे से नियंत्रित स्रोतों से खरीदी गई चीजें हमें प्रतिरोधी बैक्टीरिया के खतरे से बचा सकती हैं और स्वास्थ्य के लिए बेहतर साबित हो सकती हैं। आज के एपिसोड में बस इतना ही, खाने में एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल और उसके असर के बारे में जानने के लिए धन्यवाद। हमारे अगले एपिसोड में जानिए कि एएमआर हमारे स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं को कैसे प्रभावित करता है। जुड़े रहिए और सुनते रहिए Sangyan Podcast!
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Antimicrobial Resistance (Set 3 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 3 in Hindi): Understanding AMR
एएमआर का हमारी सेहत और सुरक्षा पर असर होस्ट: नमस्कार! स्वागत है आप सभी का Sangyan Podcast के आज के एपिसोड में। मैं हूं आपकी होस्ट, साक्षी। आज हम बात करेंगे कि एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) कैसे हमारी सेहत को प्रभावित कर रहा है और साधारण से संक्रमणों को भी ठीक करना मुश्किल बना रहा है। सोचिए अगर आपको हल्की-सी चोट लग जाए। शुरुआत में यह बस एक घाव होता है, कोई संक्रमण नहीं। लेकिन अगर इसे सही से साफ़ और देखभाल न किया जाए, तो इसमें इंफेक्शन हो सकता है और मवाद (pus) बन सकता है। आम तौर पर ऐसी छोटी-छोटी समस्याएं जैसे कट लगना, गले में खराश या सर्दी ज़ुकाम आसानी से ठीक हो जाते हैं, या फिर एंटीबायोटिक लेने से जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन एएमआर के कारण, बैक्टीरिया और मज़बूत हो जाते हैं, जिससे इन मामूली संक्रमणों का इलाज करना भी मुश्किल हो जाता है। उदाहरण के लिए, पहले जो छोटा सा घाव साधारण एंटीबायोटिक से ठीक हो जाता था, अब वही घाव एंटीबायोटिक का असर न होने के कारण और बढ़ सकता है। इससे छोटी समस्या भी गंभीर रूप ले सकती है, जिससे ज्यादा देखभाल और इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है। अब बात करते हैं इलाज में लगने वाले समय और खर्च की। जब आम एंटीबायोटिक्स असर नहीं करतीं, तो डॉक्टरों को मजबूरन ज्यादा ताकतवर और महंगी दवाओं का इस्तेमाल करना पड़ता है। ज्यादा ताकतवर दवाओं के साथ-साथ, डॉक्टर कुछ जांचें भी लिखते हैं, ताकि यह पता लगाया जा सके कि कहीं कोई दीर्घकालिक बीमारी तो मौजूद नहीं है। इससे इलाज का समय लंबा हो जाता है और मरीज़ों के लिए खर्च भी बढ़ जाता है। आखिरी विकल्प की दवाओं के इस्तेमाल से साइड इफेक्ट्स और जटिलताएं भी बढ़ सकती हैं। इससे परिवारों पर आर्थिक दबाव बढ़ता है और अस्पताल में भर्ती रहने का समय भी बढ़ सकता है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि एएमआर के कारण कुछ संक्रमणों का इलाज ही संभव नहीं हो सकता। अगर बैक्टीरिया सभी उपलब्ध एंटीबायोटिक दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो जाते हैं, तो ऐसी स्थिति आ सकती है जब किसी संक्रमण का इलाज करना असंभव हो जाए। इससे बीमारी लंबे समय तक चल सकती है, जटिलताएं बढ़ सकती हैं, और सर्जरी या पुरानी बीमारियों का इलाज करना भी काफी जोखिम भरा हो सकता है अगर हम संक्रमणों पर काबू नहीं पा सके। तो देखा जाए, एएमआर सिर्फ संक्रमणों को ठीक करने में मुश्किलें ही पैदा नहीं करता, बल्कि यह इलाज को पूरी तरह बेअसर भी बना सकता है। इसका हमारी सेहत और स्वास्थ्य व्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। आज के एपिसोड में बस इतना ही। जुड़े रहिए Sangyan Podcast के साथ और जानिए कि कैसे हम एएमआर से खुद को और अपने परिवार को बचा सकते हैं। मिलते हैं अगले एपिसोड में, तब तक स्वस्थ रहें और सेहतमंद रहें!
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Antimicrobial Resistance (Set 2 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 2 in Hindi): Understanding AMR
एएमआर कैसे बढ़ता है – हमारी गलतियों से बढ़ती समस्या Sakshi (Host): नमस्ते और स्वागत है आपका Sangyan Podcast के आज के एपिसोड में। मैं आपकी होस्ट, साक्षी। आज हम बात करेंगे उन आदतों की, जो बिना जाने-समझे एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की समस्या को बढ़ा देती हैं। सर्दी-ज़ुकाम के लिए एंटीबायोटिक्स लेनासर्दी-ज़ुकाम आमतौर पर वायरस की वजह से होता है, और एंटीबायोटिक्स सिर्फ बैक्टीरिया को मारने के लिए होते हैं। जब हम सर्दी-ज़ुकाम के लिए बिना डॉक्टर की सलाह के गलत एंटीबायोटिक्स लेने से, इन दवाइयों से बैक्टीरिया पूरी तरह से नष्ट नहीं होते हैं और वे इन्हें झेलने की क्षमता विकसित कर लेते हैं, जिससे भविष्य में इलाज मुश्किल हो जाता है। दवाओं का पूरा कोर्स खत्म न करनाकई बार लोग एंटीबायोटिक्स लेना तभी छोड़ देते हैं जब उन्हें थोड़ी राहत महसूस होती है, भले ही पूरा कोर्स खत्म न हुआ हो। इससे कुछ बैक्टीरिया ज़िंदा रह जाते हैं, और ये बैक्टीरिया अधिक ताकतवर और दवाओं के खिलाफ प्रतिरोधी हो जाते हैं। अगली बार जब यही बैक्टीरिया संक्रमण का कारण बनते हैं, तो वही दवा कारगर नहीं होती। बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक्स का इस्तेमालबची हुई या किसी और की एंटीबायोटिक्स लेना भी समस्या को बढ़ा सकता है। जब हम बिना डॉक्टर की सलाह के दवाओं का उपयोग करते हैं, तो बैक्टीरिया इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी बन सकते हैं, जिससे भविष्य में संक्रमण का इलाज मुश्किल हो जाता है। खेती और जानवरों के खाने में एंटीबायोटिक्स का इस्तेमालखेती और जानवरों के आहार में एंटीबायोटिक्स का उपयोग अधिकतर बड़ी कंपनियां करती हैं, जो पशु और मुर्गी पालन का व्यवसाय करती हैं। कई बार ये कंपनियां स्वस्थ जानवरों को भी एंटीबायोटिक्स देती हैं ताकि वे तेजी से बढ़ें और बीमार न हों। इस तरह के अधिक उपयोग से बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है। जब ये प्रतिरोधी बैक्टीरिया मांस या दूध जैसे उत्पादों के माध्यम से हमारे शरीर में पहुंचते हैं, तो संक्रमण का इलाज करना बहुत मुश्किल हो जाता है। एंटीमाइक्रोबियल उत्पादों का अधिक उपयोगएंटीबैक्टीरियल साबुन, हैंड सैनिटाइज़र और सफाई उत्पादों का बार-बार इस्तेमाल भी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। ये उत्पाद कई कीटाणुओं को मारते हैं, लेकिन सबसे मजबूत और प्रतिरोधी कीटाणु बच जाते हैं और तेजी से फैलने लगते हैं। साक्षी (Host): हमारे छोटे-छोटे काम भी एएमआर की समस्या को बढ़ा सकते हैं। इसलिए एंटीबायोटिक्स का सही और समझदारी से उपयोग करना बेहद ज़रूरी है। तो जुड़े रहिए Sangyan Podcast के साथ, क्योंकि आपके और आपके परिवार की सेहत हमारे साथ है! मिलते हैं अगले एपिसोड में, तब तक स्वस्थ रहें और सेहतमंद रहें!
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Antimicrobial Resistance (Set 1 in Hindi): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 1 in Hindi): Understanding AMR
एएमआर क्या है और हमें इसकी परवाह क्यों करनी चाहिए? Sakshi: नमस्ते और स्वागत है "Sangyan Podcast" के आज के एपिसोड में। मैं हूँ आपकी होस्ट, साक्षी। आज हम एक बहुत ही जरूरी विषय पर बात करेंगे, जो हम सबकी सेहत पर असर डालता है—एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR)। चलिए समझते हैं कि एएमआर क्यों चिंता का कारण है और हम खुद को और अपने समाज को कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। एएमआर क्या है? Host: एएमआर का मतलब है एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस। जब बैक्टीरिया, वायरस, या फंगस जैसे कीटाणु हमारी दवाओं पर असर दिखाना बंद कर देते हैं, तो इसे एएमआर कहते हैं। जैसे मान लीजिए कि आपने किसी संक्रमण के लिए दवा ली, लेकिन वो दवा असर नहीं कर रही क्योंकि कीटाणु बहुत मजबूत हो गए हैं। यही एएमआर का असर है, इससे साधारण संक्रमण जैसे गले की खराश भी ठीक करना मुश्किल हो जाता है। हमें एएमआर की परवाह क्यों करनी चाहिए? Host: आइए कुछ आंकड़ों की बात करते हैं, ताकि आपको समझ में आए कि एएमआर क्यों एक बड़ी चिंता है। साल 2019 में, लगभग 50 लाख लोग की ऐसे संक्रमणों से मृत्यु हुई जो एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक नहीं हो पाए। इनमें से 12.7 लाख मृत्यु सीधे एएमआर के कारण हुईं। भारत में हर साल लगभग 2.97 लाख लोगों की मृत्यु एएमआर की वजह से होती है। कुल मिलाकर, एएमआर की वजह से भारत में 10 लाख से ज्यादा मृत्यु होती हैं, जो कैंसर, क्षय रोग (टीबी) या डायबिटीज से होने वाली मौतों से भी ज्यादा है। एएमआर हमारे लिए क्यों जरूरी है? Host: अगर कीटाणु हमारी दवाओं के प्रति प्रतिरोधक (resistant) हो जाते हैं तो: साधारण संक्रमण जैसे गले का इंफेक्शन या त्वचा पर कट लगना भी ठीक करना मुश्किल हो जाएगा। दवाइयां असर नहीं करेंगी, जिससे लोग ज्यादा समय तक बीमार रहेंगे। संक्रमण फैल सकते हैं और जानलेवा हो सकते हैं। एएमआर के उदाहरण: Host: एक आसान उदाहरण लेते हैं। मान लीजिए आपको कान में इंफेक्शन है और आप एंटीबायोटिक लेते हैं, लेकिन वो असर नहीं करती क्योंकि बैक्टीरिया प्रबल हो गए हैं। या फिर आपकी त्वचा पर फंगल इंफेक्शन है और जो क्रीम आप इस्तेमाल करते हैं, वो काम नहीं कर रही क्योंकि फंगस अब उस क्रीम से ठीक नहीं हो रही। Host: एएमआर एक खामोश लेकिन गंभीर खतरा है। अगर हम अभी से कदम नहीं उठाएंगे, तो साधारण संक्रमण भी जानलेवा बन सकते हैं। हमारे अगले एपिसोड में हम जानेंगे कि एएमआर कैसे होता है और इसे कैसे रोका जा सकता है। तो जुड़े रहिए Sangyan Podcast के साथ, क्योंकि आपके और आपके परिवार की सेहत हमारे साथ है! मिलते हैं अगले एपिसोड में, तब तक स्वस्थ रहें और सेहतमंद रहें!
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Antimicrobial Resistance (Set 7 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 7 in English): Understanding AMR
How the World is Fighting AMR Together Welcome to today’s episode of Sangyan Podcast! In this episode, we’ll be discussing how the world is coming together to tackle Antimicrobial Resistance (AMR) and what steps are being taken globally, especially in India, to fight this growing issue. First up, let’s talk about global cooperation against AMR. AMR is a worldwide problem, and countries are working together to reduce unnecessary antibiotic use. A key part of this global fight is "World AMR Awareness Week," celebrated every year from 18th to 24th November. The goal of this week is to raise awareness about the correct use of antibiotics and to encourage good practices. The World Health Organization (WHO) and national governments work together to spread awareness, implement strict regulations, and develop national action plans to combat AMR. Now, let's focus on India. India is playing a crucial role in raising awareness and fighting AMR. The National Action Plan (NAP) for AMR was launched in April 2017 by the Union Ministry of Health and Family Welfare. The plan focuses on educating the public about the risks of improper antibiotic use and promotes responsible practices like avoiding self-medication and completing prescribed courses of antibiotics. Some key objectives of the NAP include: Raising awareness about responsible antibiotic use. Monitoring antibiotic resistance through enhanced surveillance. Strengthening infection prevention and control. Encouraging research and development for new treatments. Promoting collaboration between public health bodies, healthcare providers, and the public. However, there are challenges. The implementation of India’s NAP for AMR has been slow due to limited funding and competing health priorities. To improve the situation, there is a need for better coordination between the central and state governments, as well as a dedicated funding mechanism. Civil society, the private sector, and the media also have important roles to play in supporting AMR efforts. Industries, such as pharmaceuticals and food production, must adopt responsible antibiotic practices. Once the NAP is fully implemented, we’ll need a greater focus on monitoring, evaluation, and accountability to ensure success. Strong political support and active involvement from the private sector will help guarantee that antibiotics remain effective for future generations. That’s it for today’s episode! The fight against AMR requires a global effort, and together we can make a difference. This is the final episode, but it's not the end. It's the beginning of our collective efforts toward the responsible use of antibiotics and better health. Spread awareness around you, use medicines responsibly, and be a part of this mission. Keep listening to Sangyan Podcast - where your health and knowledge are our top priorities. Thank you!
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Antimicrobial Resistance (Set 6 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 6 in English): Understanding AMR
What We Can Do to Help – A Few Easy Steps Welcome to another episode of the Sangyan Podcast! Today, we’ll be discussing a few easy steps that we can all take to help fight Antimicrobial Resistance (AMR) and ensure that antibiotics remain effective for future generations. First up, take medicines only when needed. One of the easiest ways to combat AMR is to use antibiotics only when they are truly necessary. Remember, antibiotics don’t work for viral infections like the common cold or flu. Using them in these cases doesn’t help and actually gives bacteria a chance to become resistant, making future treatments harder to manage. Next, it’s crucial to complete the full course of treatment. If your doctor has prescribed antibiotics, make sure you finish the entire course, even if you start feeling better before the treatment is over. Stopping early leaves some bacteria alive, which can then become stronger and resistant to the antibiotic. This makes it much harder to treat infections the next time around. And here’s an important step we can all take: spread awareness about AMR. The more people understand the risks of misusing antibiotics, the better. Talk to your friends, family, and community about the dangers of AMR and the importance of using antibiotics responsibly. When everyone is aware of the issue, they’re less likely to misuse antibiotics, which helps protect the effectiveness of these essential medicines. That’s all for today’s episode! By following these easy steps, we can all contribute to the fight against AMR and protect our health. Stay tuned for our next episode where we’ll continue to explore how we can all make a difference!
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Antimicrobial Resistance (Set 5 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 5 in English): Understanding AMR
Simple Ways to Avoid AMR in Hospitals and Homes Welcome back to the Sangyan Podcast! In today's episode, I’ll be talking about some simple yet effective ways to avoid antimicrobial resistance (AMR), both at home and in healthcare settings. Let’s start with basic hygiene practices. Regular handwashing with soap and water is one of the most effective ways to reduce the spread of infections and AMR. By washing your hands regularly, you can remove germs, including resistant bacteria, that are transferred through touch. Also, keeping wounds clean and properly covered helps prevent infections, reducing the need for antibiotics in the first place. Next, let’s talk about the prudent use of antibiotics. Antibiotics should only be prescribed by healthcare providers when absolutely necessary. Misusing or over-prescribing antibiotics contributes to AMR. It’s really important for patients to follow the prescribed course of antibiotics fully, even if they start feeling better before completing the medication. Stopping treatment early leaves some bacteria alive, which can then become resistant to the antibiotic, making future infections harder to treat. Now, let’s discuss the importance of avoiding self-treatment and sharing medicines. Never self-medicate or share your antibiotics with others. Each infection is different, and only a healthcare provider can determine the right treatment. Misusing antibiotics by taking leftover medicine or sharing it with others contributes to resistance, making future infections harder to treat. Finally, vaccinations play a critical role in preventing infections that may otherwise require antibiotics. Getting vaccinated for diseases like the flu and pneumonia can reduce the need for antibiotic treatments, ultimately lowering the risk of developing resistant bacteria. Vaccination helps reduce the overall use of antibiotics, which in turn helps reduce AMR. That wraps up today’s episode on simple ways to avoid AMR. Stay tuned for our next episode, where we’ll continue to dive into this important topic and explore more ways to protect our health!
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Antimicrobial Resistance (Set 4 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 4 in English): Understanding AMR
Role of Antibiotics in Food and Its Effect on Us Welcome back to the Sangyan Podcast! In today’s episode, I’ll be discussing an important issue—the role of antibiotics in food production and how it affects our health. First off, let’s talk about why antibiotics are used in food production. Antibiotics are often used in agriculture to promote growth and prevent diseases in animals, even when the animals are not sick. This is especially common in industrial farming, where large numbers of animals are raised in close quarters. The idea is to ensure healthy animals and maximize production, but this practice leads to an overuse of antibiotics, which significantly contributes to the rise of antimicrobial resistance (AMR). But how does this affect us? Well, when animals are treated with antibiotics, bacteria in their bodies can become resistant to these drugs. These resistant bacteria can spread to humans through the consumption of contaminated meat, dairy, or even by direct contact with animals or their environment. Once these resistant bacteria enter the human body, they can cause infections that are much harder to treat because the usual antibiotics might no longer work. This transfer of resistant bacteria through the food chain is a major concern raised by health bodies, including the World Health Organization (WHO). So, what can we, as consumers, do to protect ourselves? One key piece of advice is to choose meat and other animal products that are labeled "antibiotic-free". You can also look for products from producers who use responsible antibiotic practices. Buying from well-regulated, clean sources helps reduce your exposure to resistant bacteria and contributes to better public health outcomes. That’s it for today’s discussion on the role of antibiotics in food production. Stay tuned for more episodes where we explore how AMR impacts different aspects of our health!
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Antimicrobial Resistance (Set 3 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 3 in English): Understanding AMR
How AMR Affects Our Health and Safety Host: Hello and welcome to today’s episode of “Sangyan Podcast.” I’m your host, Sakshi. In this episode, I’ll be talking about how Antimicrobial Resistance (AMR) is making even simple infections harder to treat. Let’s start with something simple, like a small cut. At first, it’s just a wound, not an infection. But if it isn’t cleaned and cared for properly, it can get infected, and you might even see pus forming. Normally, small problems like cuts, sore throats, or colds heal quickly with basic treatments or antibiotics. However, with AMR, bacteria become stronger, and even these simple infections become harder to treat, turning what was once easy to handle into a much bigger issue. For example, a small infected wound that would typically heal with a basic antibiotic might not respond anymore, allowing the infection to worsen. This can turn what was once a simple problem into something much more serious, often requiring more intensive care. Now, let’s talk about longer treatments and higher costs. When common antibiotics don’t work due to AMR, doctors have to use stronger, often more expensive medications. This leads to longer treatments and higher healthcare costs for both patients and hospitals. And when doctors have to use specialized, last-resort antibiotics, it can cause more side effects and complications. For families, this means higher medical expenses and longer hospital stays, putting a strain on both personal finances and the healthcare system. The most concerning aspect of AMR is the possibility that some infections could become untreatable. If bacteria become resistant to all available antibiotics, there might be no medicine left to cure the infection. This could lead to longer and more severe illnesses, with a higher risk of complications. Even routine medical procedures, like surgeries or treatments for chronic conditions, could become much more dangerous if we can’t control infections effectively. So, AMR isn't just about making infections harder to treat—it’s about the potential for it to make treatments ineffective altogether, and the impact that could have on our health and healthcare system. That's all for today's episode on how AMR affects our health. Stay tuned for more episodes where we’ll explore how to protect ourselves and fight against this growing problem.
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Antimicrobial Resistance (Set 2 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 2 in English): Understanding AMR
Causes of AMR – How Do We Make the Problem Worse? Hello and welcome to today’s episode of “Sangyan Podcast.” I’m your host, Sakshi. Today, we’ll discuss how our actions can make AMR worse without us even realizing it. Taking Antibiotics for a Cold Antibiotics are for bacteria, not viruses like the ones that cause colds. Taking them for a cold unless advised by a health expert doesn't help and gives bacteria a chance to become resistant, making future treatments less effective. Not Finishing Prescribed Medicines Sometimes we skip or stop taking antibiotics once we start feeling better, even if the full course is not finished. This leaves some bacteria alive, often the strongest ones. These bacteria can grow and adapt, making them harder to kill with the same medicine next time. Using Antibiotics Without a Doctor’s Advice Taking leftover antibiotics or using them without consulting a doctor can cause bacteria to resist the medicine, making it harder to treat infections in the future. Antibiotics in Farming and Animal Food Antibiotics are mostly used by big companies involved in animal and poultry farming. These companies often give antibiotics to healthy animals to help them grow faster and prevent illness. This excessive use can lead to bacteria developing resistance. When these resistant bacteria enter our bodies through products like meat or milk, it becomes very difficult to treat the infections they cause. Overuse of Antimicrobial Products The frequent use of antibacterial soaps, hand sanitizers, and cleaning products can also contribute to resistance. While these products kill many germs, they can leave behind the strongest, most resistant ones, allowing them to multiply Host: Our everyday actions can make AMR worse. Being mindful of how we use antibiotics is a simple yet powerful step we can all take. This is all for today’s episode, we will meet in the next episode. Till then stay safe, stay healthy.
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Antimicrobial Resistance (Set 1 in English): Understanding AMR
11/23/2024
Antimicrobial Resistance (Set 1 in English): Understanding AMR
What is AMR and Why Should We Care? Hello and welcome to today’s episode of “Sangyan Podcast.” I’m your host, Sakshi, and today, we will discuss an important topic that affects us all - Antimicrobial Resistance (AMR). Let's dive in and understand why AMR is a growing concern and what we can do to protect ourselves and our communities. What is AMR? Host: AMR stands for Antimicrobial Resistance. It happens when germs like bacteria, viruses, and fungi become stronger and stop responding to the medicines we use to kill them, like antibiotics. Imagine taking a medicine to treat an infection, but it doesn’t work because the germs have become too tough. This is what AMR does. It makes treating infections much harder, even simple ones like a sore throat. Why Should We Care About AMR? Host: Let’s talk numbers to understand why AMR is a big concern. In 2019, nearly 5 million people died worldwide from infections that didn't respond to antibiotics. Out of these, 1.27 million deaths were directly caused by AMR. Shockingly, in India, AMR is responsible for around 2.97 lakhs direct deaths every year. In total, over a million deaths in India are linked to AMR. This is more than the deaths caused by cancer, tuberculosis, or diabetes. Why Is AMR Important for Us? Host: If germs become resistant to our medicines: Simple infections like a throat infection or a skin cut can become hard to treat. Medicines may not work well, making people stay sick longer. Infections can spread and become dangerous, even life-threatening. Examples of AMR in Everyday Life: Host: Let me give you a simple example. Imagine you have an ear infection, and you take antibiotics without a doctor's consultation, and it doesn’t help because the bacteria are too strong. Or if you have a fungal infection on your skin, the usual cream might not work anymore because the fungus has become resistant. Host: AMR is a silent but serious threat. If we don’t take action now, simple infections could become deadly. Stay tuned as we discuss more about what causes AMR and how we can prevent it in the next episodes.
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Mpox (Set 1 in English): Understanding Mpox - The Virus, Stigma, and Public Health
10/31/2024
Mpox (Set 1 in English): Understanding Mpox - The Virus, Stigma, and Public Health
Title: Understanding Mpox: The Virus, Stigma, and Public Health Host A: Hello everyone, and welcome to today’s episode of Sangyan Podcast. I’m Sakshi, and joining me is my co-host, Anu. Today, we’re diving deep into a topic that has garnered global attention—Mpox, previously known as monkeypox. There is so much to cover, from the virus itself to the stigma surrounding it, and we’re here to break it all down for you. Host B: Hi everyone! Thanks for tuning in. You’re right, Sakshi. Mpox has been a major public health concern, especially since the 2022 global outbreak. We’ve seen it spread across multiple countries, and along with that, we’ve seen a lot of misinformation and stigma arise. We’ll touch on what Mpox is, how it spreads, its global impact, and what we can do to protect ourselves and others. Host A: Absolutely! So, let’s start with the basics—what is Mpox? Mpox is a viral infection caused by the monkeypox virus, which belongs to the Orthopoxvirus family. This family of viruses includes other well-known viruses like smallpox and cowpox. The Mpox virus is divided into two main genetic groups, known as clades: clade I and clade II. Clade II, in particular, has been responsible for the large-scale global outbreak that began in 2022 and continues to spread across various regions. More recently, as of August 2024, a subclade of clade I, known as clade Ib, has been detected outside of Africa, which raises concerns about further geographic spread. Host B: Yes, and although the natural reservoir of the virus remains unknown, research indicates that certain small mammals, such as squirrels and monkeys, are highly susceptible to the Mpox virus. Interestingly, the virus was first discovered in 1958 when monkeys in a research facility in Denmark exhibited a pox-like illness. This led to the initial name "monkeypox." However, the first recorded case in humans did not occur until 1970, when a young boy in the Democratic Republic of the Congo (formerly Zaire) presented with symptoms closely resembling smallpox, such as a rash and fever. This marked the beginning of human Mpox cases being documented. Host A: And since then, Mpox has remained endemic in parts of Africa, with occasional outbreaks in other countries. But it wasn’t until the early 2000s that Mpox cases began appearing outside of Africa, like in the 2003 outbreak in the U.S. That outbreak was linked to infected pet prairie dogs, and it really highlighted the potential for Mpox to spread beyond its usual boundaries. Then, of course, the 2022 outbreak brought it to global attention, when cases started appearing in countries that had never reported Mpox before. Host B: Exactly, Sakshi. And now, let’s discuss the global impact. According to the World Health Organization (WHO), since the 2022 outbreak, over 1,03,000 (One lakh three thousand) Mpox cases have been confirmed in more than 120 countries. As of September 2024, there have been more than 25,000 suspected and confirmed cases and more than 700 deaths reported in 14 African countries alone. The virus predominantly affects men—96.4% of confirmed cases have been in males, with the median age being 34 years. The most affected group globally is males aged 18 to 44 years.In India, 30 cases of Mpox have been recorded since the WHO declared it a Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) in 2022. Additionally, the country is said to be adopting preventive measures and public health strategies to manage possible future cases of Mpox. Host A: And one thing we really need to address is the transmission patterns. Globally, the primary mode of transmission has been sexual contact, accounting for over 83% of cases. However, it’s important to note that Mpox is not a sexually transmitted infection (STI) in the traditional sense. It spreads through close physical contact, which is why sexual contact has been such a significant route. But in Africa, transmission is more varied. It includes not only person-to-person contact but also zoonotic exposure, meaning transmission from animals to humans. Host B: That’s an important distinction. Mpox can spread through skin-to-skin contact, respiratory droplets, and even contaminated objects like bedding or towels. And while sexual contact has been the main driver of transmission globally, especially in men who have sex with men populations, it’s crucial to understand that anyone can contract Mpox through close contact. Host A: Yes, and this brings us to the public health implications. Mpox has placed a significant burden on health systems, which are already strained by other crises like COVID-19. Diagnosing, treating, and preventing the spread of Mpox requires resources that could otherwise be allocated to other pressing health issues. And socially, the stigma associated with Mpox—particularly due to its connection with sexual transmission—has been a major barrier to effective response. Host B: That’s such a critical point, Sakshi. The stigma has been one of the most challenging aspects of managing Mpox. Many people, especially in the MSM community, are reluctant to seek care because they fear judgment or discrimination. It is a cycle that public health systems are trying hard to break. Host A: Exactly. And speaking of stigma, it’s not just about sexual orientation. Mpox has also been stigmatized along racial and geographical lines, particularly because it’s endemic in certain African countries. The portrayal of Mpox as a disease of African or MSM populations has fueled negative stereotypes, making it even harder to combat the virus effectively. The WHO has been working on changing the language we use around Mpox, which is why they renamed it from "monkeypox" to Mpox to reduce some of that stigma. Host B: Yes, language is so important. Mpox progresses through three stages: Incubation, Prodrome, and Rash. The incubation period, lasting 6 to 13 days (or up to 21 days), is the time between infection and symptom onset, during which individuals are not contagious. Physicians should monitor patients for the full 21 days. The prodrome phase follows, with symptoms like fever, headache, muscle aches, malaise, chills, sore throat, swollen lymph nodes, and cough. Finally, the rash stage involves the development of skin lesions that appear simultaneously and progress through four distinct phases: macular, papular, vesicular, and pustular. Host A: And while the rash is the most distinctive symptom, other symptoms like back pain, sore throat, and fatigue can also be present. It’s important to remember that Mpox can be severe, especially for certain groups like children, pregnant individuals, and people with weakened immune systems. In rare cases, complications like pneumonia, encephalitis, and even death can occur, especially if medical care is delayed. Host B: The World Health Organization (WHO) has approved the first Mpox testing kit for emergency diagnosis, called the Alinity m MPXV assay. Early detection and testing are crucial for controlling the spread of Mpox. The preferred diagnostic method is PCR testing, typically using samples from skin lesions. However, if no rash is present, throat or anal swabs can also be used. With testing now widely available through local health departments, early diagnosis plays a key role in effective treatment and in preventing further transmission Host A: Prevention is also key here. Let’s talk about prevention strategies. Isolation is crucial for those infected—staying in a separate room, avoiding close contact with others, and practicing good hand hygiene can all help stop the spread. People should also avoid sharing household items like clothes and towels with others until they’ve fully recovered. Vaccination is another essential preventive tool. The WHO has approved the MVA-BN vaccine for Mpox, and it’s recommended for high-risk groups, including healthcare workers and individuals with multiple sexual partners. Host B: Yes, the vaccine is highly effective, especially when given early, with post-exposure preventive treatment recommended within four days of exposure. It’s been a game-changer for controlling outbreaks in high-risk communities. But beyond vaccination, public health authorities stress the importance of reducing the stigma around Mpox. Inclusive messaging and empathy are critical in reaching affected populations and encouraging them to seek care without fear of judgment. Host A: That’s so true. To overcome the stigma, we need to ensure public health messages are clear and compassionate. Media representation also plays a big role here. Unfortunately, some media outlets have perpetuated harmful stereotypes by focusing on specific populations or regions, which only fuels discrimination. We need ethical journalism that portrays the reality of Mpox—anyone can contract it, and we all need to stay informed and protected. Host B: Absolutely. And speaking of protection, let’s not forget the general precautions people can take. If you think you’ve been exposed to Mpox, it’s important to seek health advice and self-isolate until you can get tested. Regularly checking yourself for symptoms and having open, non-judgmental conversations with sexual partners is also important for reducing risk. Host A: And for those already recovering from Mpox, taking care of yourself at home is vital. Keep your rash clean and avoid scratching, as that can cause infections. Stay hydrated, get enough rest, and don’t hesitate to reach out for emotional support if you need it—recovery isn’t just physical, it’s mental too. Host B : Such good advice, Sakshi. To wrap up, Mpox is a serious health issue, but it’s one we can manage with the right strategies. Reducing stigma, improving access to care, and focusing on prevention are all key to controlling this outbreak. Host A: Absolutely. And remember, the virus doesn’t discriminate, so we need to support each other through this by spreading awareness, not fear. Thanks for joining us today, and if you found this episode helpful, share it with your friends and family to help spread accurate information about Mpox. Host B: Yes, thank you for listening. Stay informed, stay safe, and we’ll catch you in the next episode of Sangyan. Host A: Take care, everyone!
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Mpox (Set 1 in Hindi): Understanding Mpox - The Virus, Stigma, and Public Health
10/31/2024
Mpox (Set 1 in Hindi): Understanding Mpox - The Virus, Stigma, and Public Health
टाइटल: एमपॉक्स को समझना: वायरस, धारणाएँ और जन स्वास्थ्य होस्ट A: नमस्ते दोस्तों! आज के 'संग्यान पॉडकास्ट' के एपिसोड में आप सभी का स्वागत है। मैं हूँ साक्षी, और मेरे साथ है मेरी को-होस्ट अनु। आज हम एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर केंद्रित किया है—एमपॉक्स, जिसे पहले मंकीपॉक्स के नाम से जाना जाता था। इसमें बहुत कुछ समझने को है जैसे कि वायरस क्या है, इससे जुड़ी धारणाएँ, और जन स्वास्थ्य पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है। आज हम इन सभी पहलुओं पर विस्तार से बात करेंगे। होस्ट B: हैलो दोस्तों! हमें सुनने के लिए धन्यवाद। तुमने सही कहा साक्षी। एमपॉक्स 2022 के वैश्विक फैलाव के बाद से एक बड़ी जन स्वास्थ्य समस्या बन गया है। हमने देखा है कि यह कई देशों में फैला है, और इसके साथ ही बहुत सारी गलत जानकारी और धारणाएँ भी फैल गई हैं। हम इस एपिसोड में एमपॉक्स के बारे में बात करेंगे—यह कैसे फैलता है, इसका वैश्विक असर क्या है, और हम खुद को और दूसरों को इससे कैसे सुरक्षित रख सकते हैं। होस्ट A: बिल्कुल सही! तो चलिए शुरुआत करते हैं कि एमपॉक्स क्या है? एमपॉक्स एक वायरल संक्रमण है, जो मंकीपॉक्स वायरस के कारण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस परिवार का हिस्सा है, जिसमें स्मॉलपॉक्स और काउपॉक्स जैसे अन्य वायरस भी आते हैं। यह वायरस मुख्य रूप से दो जेनेटिक ग्रुप्स में विभाजित होता है, जिन्हें क्लेड I और क्लेड II कहा जाता है। खासतौर पर क्लेड II 2022 में बड़े पैमाने पर वैश्विक फैलाव का कारण बना था। हाल ही में, 2024 में, क्लेड I का एक सबक्लेड भी अफ्रीका के बाहर पाया गया, जो और अधिक फैलाव का संकेत देता है। होस्ट B: हाँ, और भले ही इस वायरस का प्राकृतिक स्रोत अभी तक पता नहीं चला है, लेकिन शोध से पता चलता है कि कुछ छोटे जानवर, जैसे गिलहरी और बंदर, एमपॉक्स वायरस से आसानी से प्रभावित हो सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि सबसे पहले यह वायरस 1958 में डेनमार्क के एक रिसर्च सेंटर में बंदरों में देखा गया था। इसीलिए इसे पहले 'मंकीपॉक्स' कहा गया। हालांकि, इंसानों में इसका पहला मामला 1970 में सामने आया था, जब कांगो के एक बच्चे में स्मॉलपॉक्स जैसे लक्षण देखे गए। इस घटना के बाद इंसानों में एमपॉक्स के मामले दर्ज किए जाने लगे। होस्ट A: और तब से, एमपॉक्स अफ्रीका के कुछ हिस्सों में स्थायी रूप से मौजूद है, जहां बीच-बीच में इसके फैलाव देखे जाते हैं। लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत तक यह वायरस अफ्रीका के बाहर नहीं देखा गया था। जैसे कि 2003 में अमेरिका में हुआ फैलाव, जो संक्रमित पालतू प्रेयरी कुत्तों से जुड़ा था। इस घटना ने यह दिखाया कि एमपॉक्स अपने सामान्य क्षेत्रों के बाहर भी फैल सकता है। फिर 2022 का फैलाव आया, जिसने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया, क्योंकि तब यह उन देशों में भी फैलने लगा जहां पहले कभी एमपॉक्स के मामले नहीं देखे गए थे। होस्ट B: बिल्कुल सही कहा, साक्षी। अब बात करते हैं इसके वैश्विक प्रभाव की। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 2022 के प्रकोप के बाद, 1,03,000 (एक लाख तीन हजार) से अधिक एमपॉक्स के मामले 120 से अधिक देशों में पुष्टिकृत किए गए हैं। सितंबर 2024 तक, 14 अफ़्रीकी देशों में 25,000 से अधिक संदिग्ध और पुष्टिकृत किए गए मामलों के साथ 700 से अधिक मौतें हुई हैं। यह वायरस मुख्य रूप से पुरुषों को प्रभावित करता है—96.4% पुष्टिकृत किए गए मामलों में पुरुष शामिल हैं, और औसत आयु 34 वर्ष है। वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक प्रभावित समूह 18 से 44 वर्ष के पुरुष हैं। भारत में, WHO ने 2022 में इसे “अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल” (Public Health Emergency of International Concern, PHEIC) घोषित करने के बाद से 30 एमपॉक्स मामलों का रिकॉर्ड किया है। इसके अलावा, देश संभावित भविष्य के मामलों को प्रबंधित करने के लिए निवारक उपायों और सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों को अपना रहा है। होस्ट A: और एक बात जो हमें ज़रूर चर्चा करनी चाहिए, वह है संक्रमण के पैटर्न। वैश्विक स्तर पर, संक्रमण का मुख्य तरीका यौन संपर्क रहा है, जो 83% से अधिक मामलों का कारण बना है। हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि एमपॉक्स एक यौन संचारित संक्रमण (STI) नहीं है, जैसा कि पारंपरिक रूप में समझा जाता है। यह निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से फैलता है, यही वजह है कि यौन संपर्क एक महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। लेकिन अफ्रीका में, संक्रमण के तरीके अधिक विविध हैं। इसमें केवल व्यक्ति से व्यक्ति का संपर्क ही नहीं, बल्कि जानवरों से मानवों में संक्रमण भी शामिल है। होस्ट B: यह एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है, एमपॉक्स त्वचा से त्वचा के संपर्क, छोटी श्वसन बूंदों और संक्रमित बिस्तर या तौलिये के माध्यम से भी फैल सकता है। और जबकि यौन संपर्क वैश्विक स्तर पर संक्रमण का मुख्य कारण है, खासकर उन पुरुषों में जो पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कोई भी निकट संपर्क के माध्यम से एमपॉक्स संक्रमित हो सकता है। होस्ट A: हाँ, और अब हम सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रभाव पर बात करते हैं। एमपॉक्स ने स्वास्थ्य प्रणालियों पर एक महत्वपूर्ण दबाव डाला है, जो पहले से ही COVID-19 जैसी अन्य परेशानियों से प्रभावित हैं। एमपॉक्स के फैलाव का निदान, उपचार और रोकथाम के लिए ऐसे संसाधनों की आवश्यकता है, जिन्हें अन्य महत्वपूर्ण स्वास्थ्य मुद्दों पर लगाया जा सकता है।और सामाजिक रूप से, एमपॉक्स से जुड़ी धारणाएँ—विशेष रूप से इसके यौन संचरण के संबंध में—प्रभावी प्रतिक्रिया में एक बड़ी बाधा रही है। होस्ट B: यह एक बहुत महत्वपूर्ण बिंदु है, साक्षी। एमपॉक्स के प्रबंधन में धारणाएँ एक बहुत बड़ी चुनौती रही हैं। इसमें सबसे पहले है MSM। यहां "MSM" का अर्थ है "मेन हू हैव सेक्स विद मेन", जो उन पुरुषों को दर्शाता है जो अन्य पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं। यह समुदाय कई स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों का सामना करता है, जिसमें यौन संचारित रोगों और मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे शामिल हैं। भेदभाव और धारणाओं के कारण, MSM समुदाय के लोग अक्सर स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग करने से हिचकिचाते हैं।यह एक ऐसा चक्र है जिसे सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियाँ तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। होस्ट A: बिल्कुल। और जब हम धारणा की बात करते हैं, तो यह सिर्फ यौन झुकाव के बारे में नहीं है। एमपॉक्स को नस्लीय और भौगोलिक आधार पर भी धारित किया गया है, खासकर क्योंकि यह कुछ अफ्रीकी देशों में स्थायी रूप से मौजूद है। एमपॉक्स को अफ्रीकी या MSM जनसंख्याओं की बीमारी के रूप में दिखाने से नकारात्मक विचारों को बढ़ावा मिला है, जिससे वायरस से प्रभावी ढंग से लड़ना और भी कठिन हो गया है। WHO इस पर काम कर रहा है कि हम एमपॉक्स के बारे में जो भाषा उपयोग करते हैं, उसे कैसे बदला जाए, इसी वजह से उन्होंने "मंकीपॉक्स" का नाम बदलकर एमपॉक्स रखा है ताकि कुछ धारणाओं को कम किया जा सके। होस्ट B: हाँ, भाषा बहुत महत्वपूर्ण है। एमपॉक्स तीन चरणों में बढ़ता है: इन्क्यूबेशन, प्रोड्रोम और रैश। "इन्क्यूबेशन अवधि" का अर्थ है वह समय जब किसी संक्रमण के लक्षण विकसित होने से पहले वायरस या बैक्टीरिया शरीर में सक्रिय होते हैं। यह अवधि 6 से 21 दिनों तक चलती है। डॉक्टरों को मरीजों की पूरी 21 दिनों तक निगरानी करनी चाहिए। इसके बाद प्रोड्रोम चरण आता है, जिसमें बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी, ठंड लगना, गले में खराश, लिम्फ नोड्स में सूजन, और खांसी जैसे लक्षण होते हैं। अंततः, रैश चरण में त्वचा पर लेशन्स विकसित होते हैं, जो समान रूप से दिखाई देते हैं और चार विशिष्ट चरणों के माध्यम से प्रगति करते हैं: मैक्यूलर, पैप्युलर, वेसिक्युलर और पस्टुलर। होस्ट A: रैश सबसे पहचानने योग्य लक्षण है, अन्य लक्षण जैसे पीठ में दर्द, गले में खराश, और थकान भी हो सकते हैं। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि एमपॉक्स गंभीर हो सकता है, विशेषकर कुछ समूहों के लिए, जैसे बच्चे, गर्भवती महिलाएँ, और जिनकी इम्यून सिस्टम कमजोर है। कुछ मामलों में, चिकित्सा सहायता में देरी होने पर न्यूमोनिया, एन्सेफलाइटिस जैसी जटिलताएँ हो सकती हैं, या फिर मृत्यु भी हो सकती है। होस्ट B: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने आपातकालीन निदान के लिए पहला एमपॉक्स परीक्षण किट को (manjoori) मंजूरी दी है, जिसे Alinity m MPXV परीक्षण कहा जाता है। यह जल्दी पहचान और परीक्षण एमपॉक्स के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एमपॉक्स का पता लगाने के लिए PCR परीक्षण सबसे उपयुक्त विधि है।, जो आमतौर पर त्वचा के घावों से लिए गए नमूनों का उपयोग करता है। हालांकि, यदि कोई रैश मौजूद नहीं है, तो गले या गुदा के स्वैब भी उपयोग किए जा सकते हैं। स्थानीय स्वास्थ्य विभागों के माध्यम से परीक्षण अब व्यापक रूप से उपलब्ध है, जल्दी निदान प्रभावी उपचार और आगे के प्रसार को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। होस्ट A: रोकथाम भी यहां महत्वपूर्ण है। आइए रोकथाम की रणनीतियों के बारे में बात करें। संक्रमित व्यक्तियों के लिए एक अलग कमरे में रहना, दूसरों के साथ निकट संपर्क से बचना, और स्वच्छता रखना महत्वपूर्ण होता है। उन्हें केवल अपने कपड़े और तौलिये जैसे घरेलू सामान का ही उपयोग करना चाहिए। जब तक कि वे पूरी तरह से ठीक न हो जाएं। टीकाकरण एक आवश्यक रोकथाम माध्यम है, और WHO ने एमपॉक्स के लिए MVA-BN वैक्सीन को मंजूरी दी है, जिसे स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं और कई...
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Malnutrition (Set 1 in English): Tackling Malnutrition Together
10/12/2024
Malnutrition (Set 1 in English): Tackling Malnutrition Together
Podcast Script: Tackling Malnutrition Together Host A: Hello and welcome to today’s episode of “Sangyan Podcast.” I’m your host, Sakshi, and today, we will discuss an issue affecting millions worldwide—malnutrition. Today, a nutrition expert, MS. NIKITA ARYA is joining us. Together, we’ll dive into the types, causes, and innovative solutions to combat malnutrition. Welcome, MS. NIKITA. Host B: Thanks for having me here, Sakshi. Malnutrition is a complex issue that impacts public health on a global scale. It includes both undernutrition and overnutrition and its effects are felt across communities, especially in low- and middle-income countries. Host A: Exactly, let’s start with the basics. What is malnutrition, and what are the different types of malnutrition? Host B: According to the World Health Organization, malnutrition refers to imbalances in an individual's energy or nutrient intake. It broadly includes three categories: First is Undernutrition, which includes wasting, stunting, and being underweight; Second is Micronutrient-related malnutrition, it includes either deficiencies or excess of essential vitamins and minerals; Third we have Overnutrition which includes overweight, obesity, and diet-related noncommunicable diseases like diabetes and heart disease. Host A: That’s quite broad. Can you share with us an overview of malnutrition at global level? Host B: The numbers are staggering. In 2022, about 390 million adults were underweight, while over 2.5 billion were overweight, including 890 million living with obesity. The issue also affects children: 148.1 million under five years old were stunted, and 45 million suffered from wasting. This is a silent crisis in many low- and middle-income countries, where undernutrition leads to nearly half of all deaths among children under five. Host A: These numbers are pretty high. So, what are the leading causes of malnutrition? Host B: Malnutrition stems from multiple factors. At the immediate level, it is caused by inadequate dietary intake or diseases. However, major factors include poverty, lack of education, gender inequality, and poor access to clean water and healthcare. It is a combination of poor dietary habits and socioeconomic challenges. Host A: It sounds like a complex web of problems. What signs should people look for if they suspect someone is malnourished? Host B: So Common signs include unintentional weight loss, a lack of energy, and a poor appetite. In children, you can see stunted growth or visible wasting are key indicators. Healthcare professionals often use measurements like weight-for-age (WFA), height-for-age (HFA), and weight-for-height (WFH) to assess malnutrition in young children. Early detection is crucial, and tools like the Malnutrition Universal Screening Tool (MUST) or the Mini Nutritional Assessment (MNA) are used in clinical settings. Host A: Okay, Now that we know how to identify malnutrition, let’s talk about prevention. What practical steps can communities take to improve diets for both adults and children? Host B: Absolutely! Let’s start with the basics. Whether it’s adults or children, the foundation of a healthy diet begins with staple foods. For both groups, it is important to include whole grains like millets like ragi, jowar, bajra, pulses like Red gram dal, lentil, green gram dal, whole wheat, rice, quinoa and many more. These provide fiber, sustained energy, and essential nutrients. Host A: That makes sense—whole grains are more nutrient-dense. What about vegetables? How can we ensure people get the most out of them. Host B: Vegetables are crucial for both adults and children. Leafy greens like spinach, amaranth, beet greens, kale, and fenugreek are excellent sources of iron and calcium, especially for growing children and adults looking to maintain strong bones. Additionally, colorful vegetables like carrots and pumpkin are rich in vitamin A, which supports eye health and immunity. Host A: Yes, colorful vegetables are packed with nutrients! What about fruits? How can they help improve nutrition? Host B: Absolutely! Fruits like bananas, oranges, apples, and berries are great sources of vitamins B, Vitamin C, potassium, and dietary fiber, which are important for boosting the immune system, supporting energy metabolism, enhancing iron absorption that can also prevent anemia, and supporting overall well-being. For children, fruits are a great alternative with natural sweetness. Host A: That’s a great alternative. Now, what role do nuts and seeds play in a balanced diet? Host B: Nuts and seeds are excellent sources of healthy fats, fiber, and protein. For example, almonds, peanuts, and chia seeds provide omega-3 fatty acids and are particularly important for brain health in children. They’re also excellent snacks for adults, helping curb hunger and providing essential nutrients like protein, vitamin E, folate, omega-3 fatty acids, and fiber. Host A: Those are easy snack options too! And what about dairy? Should milk and its alternatives be a part of the diet? Host B: Definitely! Milk, yogurt, and fortified plant-based alternatives like almond milk or soy milk are excellent sources of calcium and vitamin D. These are crucial for bone health, particularly for growing children and adults to prevent osteoporosis. One or two servings of dairy or fortified alternatives per day are highly beneficial for health. Host A: So, dairy is essential for strong bones. What about non-vegetarian sources of protein - should that also be part of the plan? Host B: Yes, protein is essential for muscle repair and overall growth. For non-vegetarians, eggs and lean meats like chicken and fish are great sources of high-quality protein and essential micronutrients such as B vitamins and iron. For vegetarians, options like lentils, chickpeas, paneer, and tofu offer plenty of protein. Host A: That covers a lot! To recap, we should focus on whole grains, legumes and pulses, load up on vegetables and fruits, include nuts and seeds for healthy fats, ensure a good source of dairy for calcium, and finish with quality proteins. That sounds like a solid plan for preventing malnutrition for both adults and children. Host B: Exactly! If communities focus on these basic food groups and ensure variety, we can significantly reduce malnutrition. A balanced, nutrient-rich diet is the key to better health for everyone. Host A: That’s great advice. But what about communities with limited resources? How can they implement these changes? Host B: There are a few community-level approaches: The first is Home gardening: Communities can grow their own fruits and vegetables, which can be a way to ensure access to fresh, nutrient-rich food. Nutritional education: Simple workshops or awareness programs on balanced diets can teach families about food diversity and healthy eating habits. Planning meals using locally available, affordable ingredients which can help families meet their nutritional needs. Fourth is The fortification of basic staples like flour or salt with essential nutrients such as iron or iodine, helps combat micronutrient deficiencies. Host A: Home gardening sounds like a fantastic idea, especially for improving access to fresh vegetables. How can healthcare providers and community leaders encourage better eating habits? Host B: Healthcare providers play a vital role in educating communities about the importance of a balanced diet. They can offer: Nutritional counseling and teaching families on how to incorporate nutrient-dense foods into their daily diets. They can also offer Regular Growth monitoring of children which can help early detection of malnutrition. Local leaders can work with health professionals to conduct nutrition workshops and cooking demonstrations, which can help people to know about nutritional requirements, and make informed food dietary choices. Host A: Those are great strategies. It’s been such an informative session today, Ms. Nikita. We’ve covered everything from the causes of malnutrition to practical dietary solutions that can uplift entire communities. Host B: Thank you so much for having me here, Sakshi. It’s been a pleasure. Just remember, addressing malnutrition starts with awareness and small, meaningful changes at the individual and community level. Together, we can build healthier communities. Host A: Absolutely. That’s all for today’s episode of “Sangyan.” Thank you all for tuning in. Remember, a healthy diet is the foundation of a healthy life. Take care, and until next time, stay healthy and eat well!
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Malnutrition (Set 1 in Hindi): Tackling Malnutrition Together
10/12/2024
Malnutrition (Set 1 in Hindi): Tackling Malnutrition Together
पॉडकास्ट स्क्रिप्ट: कुपोषण से निपटना साथ मिलकर Host A: नमस्ते! स्वागत है आप सबका “संग्यान पॉडकास्ट” में। मैं हूँ आपकी होस्ट साक्षी, और आज हम एक ऐसे मुद्दे पर बात करेंगे जो करोड़ों लोगों को प्रभावित करता है—कुपोषण। हमारे साथ आज जुड़ रहे हैं पोषण विशेषज्ञ, MS. निकिता आर्य हैं। Aaj हम मिलकर जानेंगे कुपोषण के प्रकार, इसके कारण और इसे रोकने के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं। स्वागत है, Ms. निकिता! Host B: धन्यवाद साक्षी। कुपोषण एक गंभीर समस्या है, जो पूरे विश्व में लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रही है। ये सिर्फ पोषण की कमी ही नहीं, बल्कि ज़रूरत से ज्यादा पोषण को भी शामिल करता है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ते हैं। Host A: बिलकुल सही कहा आपने। चलिए सबसे पहले ये समझते हैं कि कुपोषण क्या है और इसके कौन-कौन से प्रकार होते हैं? Host B: WHO के अनुसार, कुपोषण तब होता है जब शरीर को उसकी ज़रूरत के मुताबिक ऊर्जा या पोषक तत्व नहीं मिलते। इसके तीन मुख्य प्रकार होते हैं: अल्पपोषण - इसमें कम वजन, बौनापन और दुबलापन शामिल है। सूक्ष्म पोषक तत्व संबंधित कुपोषण - इसमें विटामिन और खनिज की कमी या ज्यादा होना शामिल है। अतिपोषण - इसमें अधिक वजन, मोटापा और डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ आती हैं। Host A: कुपोषण एक व्यापक समस्या है। क्या आप हमें वैश्विक स्तर पर कुपोषण की स्थिति के बारे में कुछ बता सकती हैं? Host B: बिल्कुल! 2022 में लगभग 39 (unchalis) करोड़ वयस्कों का वजन सामान्य से कम था, जबकि 2.5 अरब लोग अधिक वजन या मोटापे से ग्रसित थे। 5 साल से छोटे करीब 14.8 करोड़ बच्चे बौनापन और 4.5 करोड़ बच्चे दुबलेपन से पीड़ित थे। ये एक "साइलेंट क्राइसिस" silent crisis है। कम या मध्यम आय वाले देशों में, बच्चों की मौत के लगभग आधे मामले अल्पपोषण की वजह से होते हैं। Host A: ये आँकड़े वाकई चिंताजनक हैं। कुपोषण के मुख्य कारण क्या हैं? Host B: कुपोषण कई कारणों से हो सकता है। सबसे प्रमुख कारण हैं—खराब खानपान और बीमारियाँ। गरीबी, शिक्षा की कमी, लिंग भेदभाव, साफ पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी भी इसके प्रमुख कारक हैं। यह समस्या सामाजिक और आर्थिक भी है। Host A: ये वाकई एक जटिल समस्या है। अगर किसी को कुपोषण हो, तो क्या लक्षण होते हैं? Host B: अगर किसी का वजन तेजी से घट रहा हो, थकावट महसूस हो, या भूख कम लगे, तो ये कुपोषण के संकेत हो सकते हैं। बच्चों में बौनापन या दुबलापन आम लक्षण होते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बच्चों का वजन और लंबाई नापकर कुपोषण की पहचान करते हैं। Host A: चलिए अब रोकथाम पर बात करते हैं। समुदाय कैसे बेहतर खानपान की आदतें अपना सकते हैं? Host B: सबसे पहले, साबुत अनाज जैसे बाजरा, रागी, ज्वार, और दालों को भोजन में शामिल करें। सब्ज़ियाँ, जैसे पालक, गाजर और कद्दू, विटामिन और खनिजों से भरपूर होते हैं। फल जैसे केले, संतरे भी पोषण के अच्छे स्रोत हैं। Host A: सब्ज़ियों और फलों की बात सही कही आपने। सूखे मेवे और बीजों का क्या रोल होता है? Host B: सूखे मेवे जैसे बादाम और बीज जैसे चिया बीज, ओमेगा-3 फैटी एसिड के अच्छे स्रोत हैं, जो मस्तिष्क के विकास में सहायक होते हैं। ये बच्चों और बड़ों के लिए हेल्दी स्नैक्स होते हैं। Host A: ये तो आसान विकल्प हैं।क्या दूध और इसके विकल्प भी जरूरी हैं? Host B: जी हां! दूध, दही, या बादाम ka doodh और सोया मिल्क जैसे पौधे आधारित विकल्प कैल्शियम और विटामिन D के अच्छे स्रोत हैं, जो हड्डियों की मजबूती के लिए आवश्यक हैं। बच्चों और बड़ों को रोज़ 1-2 सर्विंग दूध या इसके विकल्प लेने चाहिए। Host A: तो, हड्डियों की मजबूती के लिए दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ आवश्यक हैं। इसके अलावा, पशु प्रोटीन के स्रोतों के बारे में आपकी क्या राय है? क्या इसे भी योजना में शामिल करना चाहिए? Host B: हां, प्रोटीन मांसपेशियों की मरम्मत और समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है। गैर-शाकाहारी लोगों के लिए, अंडे और चिकन जैसे कम वसा वाले मांस उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन और विटामिन B और आयरन जैसे आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत होते हैं। शाकाहारियों के लिए, दालें, चने, पनीर और टोफू पर्याप्त प्रोटीन प्रदान करते हैं। Host A: Aapki baato se hume kaafi kuch jaane ko mila! पुनरावलोकन के लिए, हमें साबुत अनाज, दालों और बीन्स पर ध्यान देना चाहिए, सब्जियों और फलों को शामिल करना चाहिए, स्वस्थ वसा के लिए sookhe meve और बीजों को शामिल करना चाहिए, कैल्शियम के लिए डेयरी का अच्छा स्रोत सुनिश्चित करना चाहिए, और अंत में, उच्च गुणवत्ता वाले प्रोटीन पर ध्यान देना चाहिए। यह योजना वयस्कों और बच्चों दोनों के लिए कुपोषण को रोकने के लिए एक मजबूत उपाय है। Host B: बिलकुल! अगर समुदाय इन बुनियादी खाद्य समूहों पर ध्यान दें और विविधता सुनिश्चित करें, तो हम कुपोषण को काफी हद तक कम कर सकते हैं। संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार ही बेहतर स्वास्थ्य की कुंजी है। Host A: यह बहुत अच्छी सलाह है। लेकिन जिन समुदायों के पास सीमित संसाधन हैं, वे इन बदलावों को कैसे लागू कर सकते हैं? Host B: कुछ सामुदायिक स्तर के उपाय हैं jaise ki : घरेलू बागवानी: समुदाय अपने फल और सब्जियाँ उगा सकते हैं, जिससे ताजे और पौष्टिक भोजन तक पहुंच सुनिश्चित की जा सकती है। Doosra hai पोषण शिक्षा: सरल वर्कशॉप्स या जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों को विविध और संतुलित आहार के बारे में सिखाया जा सकता है। Teesra hai स्थानीय और सस्ते संसाधनों से भोजन योजना: स्थानीय रूप से उपलब्ध सस्ती सामग्रियों का उपयोग करके परिवार अपनी पोषण संबंधी ज़रूरतें पूरी कर सकते हैं। आवश्यक पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थों का समृद्धिकरण: जैसे आटे या नमक में आयरन या आयोडीन मिलाना, जिससे सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी से लड़ने में मदद मिलती है। Host A: घरेलू बागवानी तो एक शानदार विचार है, खासकर ताजे सब्जियों तक पहुंच बढ़ाने के लिए। स्वास्थ्य सेवा प्रदाता और सामुदायिक नेता कैसे बेहतर खानपान की आदतों को प्रोत्साहित कर सकते हैं? Host B: स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, वे समुदाय को संतुलित आहार के महत्व के बारे में शिक्षित कर सकते हैं। वे निम्नलिखित cheeze कर सकते हैं: पोषण परामर्श और परिवारों को अपने दैनिक आहार में पोषण-संपन्न खाद्य पदार्थों को शामिल करने का तरीका सिखा सकते हैं। बच्चों की नियमित वृद्धि की निगरानी कर सकते हैं, जिससे कुपोषण का प्रारंभिक स्तर पर पता लगाया जा सके। स्थानीय नेता स्वास्थ्य पेशेवरों के साथ मिलकर पोषण वर्कशॉप और खाना पकाने के प्रदर्शन आयोजित कर सकते हैं, जिससे लोग अपने पोषण की ज़रूरतों को समझ सकें और सही भोजन का चुनाव कर सकें। Host A: ये बहुत ही अच्छे उपाय हैं। Ms. anu k saath आज ka सत्र बहुत जानकारीपूर्ण रहा है । हमने कुपोषण के कारणों से लेकर पूरे समुदाय को बेहतर बनाने के लिए व्यावहारिक समाधान तक सब कुछ कवर किया है। Host B: धन्यवाद साक्षी, मुझे यहाँ बुलाने के लिए। याद रखें, कुपोषण से निपटना जागरूकता और छोटे, सार्थक परिवर्तनों से शुरू होता है। साथ मिलकर हम स्वस्थ समुदाय बना सकते हैं। Host B: बिल्कुल। आज के "संग्यान" के एपिसोड में बस इतना ही। आप सबका सुनने के लिए धन्यवाद। याद रखें, स्वस्थ आहार ही स्वस्थ जीवन की बुनियाद है। ख्याल रखें और अगले एपिसोड तक अच्छा खाएं aur स्वस्थ रहें,!
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Breastfeeding (FAQ Set 1 in English): Information on Breastfeeding
08/07/2024
Breastfeeding (FAQ Set 1 in English): Information on Breastfeeding
Janhvi- Hello everyone, welcome to Foundation of Healthcare Technologies Society’s podcast. In the month of August, we celebrate breastfeeding week from 1st to 7th of August, so today, we are going to talk about Breastfeeding. I’m your host, Janhvi Sahai, a post-graduate in foods and nutrition. Breastfeeding is one of the most effective ways to ensure child health and survival. To help us understand more about this, we have a special guest with us today, Ms. Nikita Arya, who is a Public Health Researcher at Foundation of Healthcare Technologies Society, New Delhi and professional with ten years of work experience in maternal and child health. Welcome, Nikita, and thank you for joining us. Nikita- Thank you, Janhvi, for having me. It's a pleasure to be here and to discuss such an important topic. Breastfeeding is a natural process and a critical component of nurturing an infant.
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Breastfeeding (FAQ Set 1 in Hindi): Information on Breastfeeding
08/03/2024
Breastfeeding (FAQ Set 1 in Hindi): Information on Breastfeeding
जान्हवी- नमस्कार, फाउंडेशन ऑफ हेल्थकेयर टेक्नोलॉजीज सोसाइटी के पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। एक अगस्त से सात अगस्त तक सभी स्तनपान सप्ताह मनाते है तोआज हम स्तनपान के बारे में चर्चा करेंगे। मैं आपकी होस्ट जह्नवी सहाय हूँ, और मैंने खाद्य और पोषण में पोस्ट-ग्रेजुएशन किया है । स्तनपान शिशु के स्वास्थ्य और जीवन रक्षण के प्रभावी तरीकों में से एक है। इस विषय पर गहन जानकारी के लिए हमारे साथ हैं सभ्या जुनेजा, जो फाउंडेशन ऑफ हेल्थकेयर टेक्नोलॉजीज सोसाइटी में सार्वजनिक स्वास्थ्य शोधकर्ता है और गृह विज्ञान में अनुभवी है | सभ्या, आपका स्वागत है इस पॉडकास्ट में| सभ्या- धन्यवाद जह्नवी। मुझे इस महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करने का अवसर मिल रहा है। स्तनपान केवल एक प्राकृतिक प्रक्रिया ही नहीं बल्कि शिशु के स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण आधार भी है। जान्हवी- बिलकुल सही कहा आपने , तो सभ्या जी, कृपया हमें स्तनपान के बारे में विस्तृत जानकारी दे और यह बतायें की ये "एक्सक्लूसिव ब्रेस्टफीडिंग" या "केवल स्तनपान" से कैसे अलग है? सभ्या- स्तनपान एक प्रक्रिया है जिसमें एक माँ शिशु को अपना दूध पिलाती है, वह दूध या तो सीधे स्तनसे पिला सकती है या दूध निकाल कर कटोरी चम्मच से पिला सकती है | स्तनपान को एक या दो साल तक जारी रखा जा सकता है। केवल स्तनपान का अर्थ है कि शिशु को जीवन के पहले 6 महीनों के लिए केवल माँ का दूध देना चाहिए उसके अलावा कोई अन्य तरल या ठोस पदार्थ, यहाँ तक कि पानी भी नहीं दिया जाना चाहिए| जान्हवी- स्तनपान नवजात और शिशुओं के लिए इतना महत्वपूर्ण क्यों है? क्या आप हमें विस्तार से समझा सकती हैं? सभ्या- माँ का दूध शिशुओं के लिए सर्वोत्तम आहार है। यह सुरक्षित और स्वच्छ होता है और इसमें एंटीबॉडी होते हैं जो कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। यह जीवन के पहले छह महीने के लिए एक शिशु को सभी आवश्यक ऊर्जा और पोषक तत्व प्रदान करता है। कोलोस्ट्रम, जो बच्चे के जन्म के बाद पहले तीन से चार दिनों के दौरान आता है, नवजात को विभिन्न बीमारियों से बचाता है और बच्चे के विकास को बढ़ावा देता है। देखा जाए तोह आकड़े यह भी बताते है की विश्व स्तर पर, केवल 48 प्रतिशत शिशुओं को जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराया जाता है, और केवल 44 प्रतिशत को ही पहले छह महीनों के लिए केवल स्तनपान कराया जाता है। भारत में, नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के पांचवे सर्वेक्षण के अनुसार, छह महीने तक विशेष रूप से स्तनपान कराए गए शिशुओं का अनुपात 43 प्रतिशत रहा है| जान्हवी- तो सभ्य जी, शिशु और माँ दोनों के लिए स्तनपान के क्या मुख्य लाभ हैं? सभ्या- स्तनपान बच्चों को कई बीमारियों से बचाता है, जिसमें संक्रमण, मधुमेह, अस्थमा, हृदय रोग, मोटापा और अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम शामिल है जिसे कॉट डेथ के रूप में भी जाना जाता है। माताओं के लिए, यह स्तन और अंडाशेय के कैंसर और हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। यह माँ-बच्चे के रिश्ते और शिशु और माँ दोनों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने में मदद करता है। इसके अतिरिक्त, स्तनपान की लागत कम है और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों के लिए बचत में महत्वपूर्ण योगदान देता है। जान्हवी- क्या स्तनपान के दौरान माँ या बच्चे की स्थिति और धात्री माताओं के लिए पोषण संबंधी विशिष्ट दिशानिर्देश हैं, जिनका पालन माताओं को स्तनपान कराते समय करना चाहिए? सभ्या- स्तनपान कराने के लिए कई आरामदायक स्थितियां हैं, जिनमें माताएं अपने शिशुओं को आराम से दूध पिला सकती हैं, जैसे कि क्रैडल होल्ड, क्रॉस-क्रैडल होल्ड,अंडर-आर्म या हम इसे फ़ुटबॉल होल्ड भी कहते हैं, साइड-लाइंग पोज़िशन, और रिक्लाइनिंग पोज़िशन, इन स्थितियों के बारे में विस्तार से स्वास्थ्य सेवा देने वालों से सहायता ली जा सकती है। अगर हम अच्छी पोज़िशनिंग के संकेतों की बात करे तो उसमें शामिल हैं की, आपके बच्चे का सिर और शरीर एक सीध में होना चाहिए, आपका बच्चा आपके शरीर के करीब होना चाहिए और आपके बच्चे के पूरे शरीर और पीठ को सहारा देना चाहिए। पोषण की बात करे तो, कई सब्जियाँ, साबुत अनाज जैसे जई और जौ, कुछ जड़ी-बूटियाँ प्लांट एस्ट्रोजेन और अन्य यौगिकों में उच्च होती हैं जो दूध की आपूर्ति बढ़ा सकती हैं और पर्याप्त पोषण दे सकती हैं जिन्हें गैलेक्टागॉग कहा जाता है। कुछ ऐसे गैलेक्टागॉग जिन्हें माँ को अपने आहार में शामिल करना चाहिए वह हैं जैसे मेथी, अजवाइन, अदरक, लहसुन, दूध, कुछ बीज जैसे की टिल और मेवे जैसे की बादाम। एक स्तनपान कराने वाली माँ को अपने आहार के बारे में पता होना चाहिए क्योंकि यह उसे और शिशु दोनों को पोषण देने में मदद करते है। उसे स्तनपान के पहले 6 महीनों में अतिरिक्त 600 किलो कैलोरी लेनी चाहिए और 13.6 ग्राम प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ जैसे मछली, चिकन, मांस, या टोफू; छोले और दाल जैसी फलियाँ या बीन्स; और केल और पालक जैसी हरी सब्जियाँ खानी चाहिए। अगले 6 महीने में अतिरिक्त आवश्यकताएँ घट कर 520 किलो कैलोरी और 10.6 ग्राम प्रोटीन हो जाती है। जान्हवी- क्या आप कुछ सामान्य चुनौतियों पर चर्चा कर सकती हैं जिनका सामना माताओं को स्तनपान करते समय करना पड़ सकता है और वे उनका सामना कैसे कर सकती हैं? कृपया इस विषय पर कुछ प्रकाश डालिए. सभ्या- जी बिलकुल, पहली चुनौतियों में से एक है सही तरीके से स्तनपान करवाना। शिशु को माँ के स्तन से ठीक से जुड़ा होना चाहिए। माँ को चार तरीको से बच्चे से आच्छा लगाव सुनिश्चित कर लेना चाहिए जैसे की शिशु का मुँह पूरी तरह खुला होना चाहिए। निचला होंठ ऊपर की ओर मुड़ा होना चाहिए। उसकी ठुड्डी स्तन को छूनी चाहिए। निप्पल के चारों ओर का काला घेरा जिसे एरोला भी कहते हैं, शिशु के मुँह के नीचे की तुलना में ऊपर ज़्यादा दिखाई देता है। बच्चे के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन ना होना एक और आम चिंता है। इसका समाधान यह है कि प्रसव के बाद स्तनपान एक्सपर्ट की सहायता से कराये और पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान करवाएं। अगर बच्चे को दूध खीचने में दिक्कत हो रही है तब आप स्तन को हाथ से पकड़ कर उसमें से दूध निकाल सकती हैं, अपने बच्चे को त्वचा से त्वचा लगाकर पकड़ सकती हैं और दूध को नीचे उतारने के लिए दूध पिलाने से पहले अपने स्तनों की मालिश कर सकती हैं। स्तनों में सूजन का मतलब है, कसाव और आकार में वृद्धि, जो आमतौर पर स्तनपान के शुरुआती दिनों में होती है। गंभीर सूजन के कारण स्तन गर्म और थोड़े सख्त महसूस हो सकते हैं, साथ ही दर्द भी हो सकता है। इसे कम करने के लिए, बार-बार दूध निकालें और प्रसव के तुरंत बाद स्तनपान शुरू करें। यदि आवश्यक हो, तो किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ से मिलें। निप्पल में दरार पड़ने से माँ को बहुत दर्द हो सकता है। यह सुनिश्चित करें कि बच्चा स्तन से ठीक से जुड़ा हुआ हो और दूध पिलाने के बाद थोड़ा दूध निकाल कर अपने निप्पल पर लगाएँ। स्तनदाह, इससे इंग्लिश में मस्तितिस कहते हैं, यह तब होता है जब आपका स्तन सूज जाता है, हल्का गर्म या लाल हो जाता है और दर्द होता है, कुछ महिलाओं में यह संक्रमण पैदा कर सकता है। समाधान के लिए शिशु से लगाव को ठीक करे, ढीले कपड़े पहने और दर्द वाले क्षेत्र पर गरम कपड़े से सेकाई करे। गंभीर समस्या होने पर, किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या स्तनपान सलाहकार से संपर्क करें। जान्हवी- तो क्या आप हमें बता सकती हैं कि परिवार के सदस्य और समुदाय स्तनपान कराने वाली माताओं का किस तरह से समर्थन कर सकते हैं? सभ्या- बेशक। परिवार और समुदाय का समर्थन स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए एक महत्वपूर्ण अंतर ला सकता है। तो हम कुछ तरीको से उनकी मदद कर सकते है: नंबर एक: पिता की भागीदारी: बच्चे के पिता स्तनपान का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। वे बच्चे को दूध पिलाने के लिए माँ के पास ला सकते हैं, माँ को सहज बनाने में मदद कर सकते हैं, या जब वह दूध पिला रही हो तो दूसरे बच्चों की देखभाल कर सकते हैं। घर के कामो में मदद कर सकते है| पिता बच्चे को मालिश करके या रोते हुए बच्चे को शांत करने के लिए गुनगुनाकर भी उसके साथ संबंध बना सकते हैं। नंबर दो: समुदाय और परिवार के अन्य सदस्य बार-बार स्तनपान कराने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। माता-पिता को आश्वस्त करें कि बच्चे को कोई अन्य पेय या भोजन देने की आवश्यकता नहीं है। यदि स्तन का दूध निकालना आवश्यक है, तो माँ को दिखाएँ कि यह कैसे करना है।समझाएँ कि माँ अपने बच्चे को पहले छह महीनों और उसके बाद के लिए जितना स्तन दूध चाहिए, वह दे सकती है। यदि बच्चा ठीक से दूध नहीं पी रहा है या उसे स्तनपान कराने में कोई कठिनाई या चिंता है, तो उसे मदद लेने या सहायता के लिए वापस आने की सलाह दें। ये क्रियाएँ एक सहायक वातावरण बना सकती हैं जो माँ को सशक्त बनाती हैं और यह सुनिश्चित करती हैं कि बच्चे को अच्छा पोषण मिले। जान्हवी- तो परिवार और समुदाय के अलावा, स्तनपान को बढ़ावा देने और उसका समर्थन करने में स्वास्थ्य सेवा पेशेवर क्या भूमिका निभाते हैं? सभ्या- मातृ और शिशु देखभाल के हर पहलू में स्तनपान को प्रोत्साहित करने में स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों की महत्वपूर्ण भूमिका है। यह समर्थन प्रसवपूर्व अवधि के दौरान शुरू होता है, प्रसव के दौरान जारी रहता है, और प्रसव के बाद देखभाल में विस्तारित होता है। शुरू से ही, पेशेवरों को गर्भवती माताओं को स्तनपान के लाभों के बारे में मार्गदर्शन और...
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Menstrual Practice (Set 8 in Malyalam): Proper Disposal of Sanitary Materials
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 8 in Malyalam): Proper Disposal of Sanitary Materials
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Menstrual Practice (Set 7 in Malyalam): Hygiene and Sanitation During Menstruation
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 7 in Malyalam): Hygiene and Sanitation During Menstruation
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Menstrual Practice (Set 6 in Malyalam): Menstrual Hygiene
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 6 in Malyalam): Menstrual Hygiene
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Menstrual Practice (Set 5 in Malyalam): Ways to Relief Menstrual Cramps
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 5 in Malyalam): Ways to Relief Menstrual Cramps
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Menstrual Practice (Set 4 in Malyalam): Common Symptoms Experienced Before or on Onset of Menstruation
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 4 in Malyalam): Common Symptoms Experienced Before or on Onset of Menstruation
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Menstrual Practice (Set 3 in Malyalam): Addressing Misconception Regarding Menstruation
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 3 in Malyalam): Addressing Misconception Regarding Menstruation
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Menstrual Practice (Set 2 in Malyalam): Information about Menstruation
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 2 in Malyalam): Information about Menstruation
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Menstrual Practice (Set 1 in Malyalam): Knowledge about Puberty
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 1 in Malyalam): Knowledge about Puberty
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Menstrual Practice (Set 8 in Gujrati): Proper Disposal of Sanitary Materials
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 8 in Gujrati): Proper Disposal of Sanitary Materials
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Menstrual Practice (Set 7 in Gujrati): Hygiene and Sanitation During Menstruation
01/12/2023
Menstrual Practice (Set 7 in Gujrati): Hygiene and Sanitation During Menstruation
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